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माँ का जादुई नमक
एक गांव में धनिया नाम की एक गरीब औरत रहती है जिसकी दो बेटियां थी दोनों बेटियां बड़ी हो चुके थी उनकी मां को हमेशा उनकी चिंता लगी रहती है वह दूसरे के घरों में काम करके अपने दोनों बेटियों को पढ़ाती लिखाती थी| उसकी बड़ी बेटी बहुत समझदार थी लेकिन छोटी थोड़ी जिद्दी और ना समझ|
एक दिन उसकी मां दोनों के लिए कपड़े खरीदने बाजार जाती है लेकिन छोटी बेटी को बाजार में एक बहुत महंगा चप्पल पसंद आ जाता है जिसे लेने का जिद करने लगती हैं उसकी मां बोलती है बेटी इस महीने इससे छोड़ दो मैं अगले महीने इस चप्पल को तुमने खरीद दूंगी लेकिन वह जिद करने लगती हैं और वह जिद करके वह चप्पल खरीद लेती है तब उसकी मां बड़ी बेटी को बोलती है बेटी तुम भी एक चप्पल ले लो बड़ी बेटी बोलती हैं नहीं मां मेरे पास चप्पल है मैं बाद में ले लुंगी |
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घर आने के बाद
फिर वह लोग घर आ जाते हैं एक दिन उसकी मां बहुत बीमार पड़ जाती है उसी की मां को लगता है कि वह अब नहीं बचेगी वह दोनों बेटियों को बुलाकर कुछ देती है छोटी बेटी को एक बहुत सुंदर साड़ी देती है और बड़ी बेटी को एक डब्बा नमक देती है और देकर कर वह इस दुनिया से चली जाती है|
छोटी बेटी बोलती है देखो मां ने मुझे कितनी अच्छी साड़ी दी है और तुम्हें तो यह सस्ता सा नमक दिया है तुम इसी के लायक हो और ऐसा कह कर उसे चिढ़ाने लगती हैं दोनों बेटियों की शादी हो जाती हैं और दोनों एक ही घर में अपने पति के साथ रहते हैं दोनों अपना खाना अलग बनाते हैं दोनों दमाद घर जमाई बन जाते हैं और एक ही छत के नीचे रहने लगते हैं|
बड़ी बेटी का पति कोई काम नहीं करता था उसे पैसों की बहुत दिक्कत होती थी इस कारन घर में बहुत लराई होती थी एक दिन घर की सफाई करते समय उसे माँ का दिया हुआ नमक का डिब्बा मिलता है उसे याद आता है की माँ ने उसे मरते समय उसे दिया था|
वह सोचती है कि इस नमक यह डब्बे को मैं खोल कर देखती हूं नमक के डब्बे को जैसे ही खुलती है उसमें से एक चिट्ठी निकलता है उस चिट्ठी में लिखा रहता है यह कोई साधारण नमक नहीं है यह जादुई नमक है तुम जिस भी खाने को बनाना चाहती हो उसके विषय में मन में सोचो और एक चुटकी नमक डालकर 5 मिनट के लिए कढ़ाई को ढक कर छोड़ दो 5 मिनट से पहले से मत खोलना तुम जिस भी चीज के विषय में सोची होगी वह चीज बना हुआ मिलेगा वह ऐसा ही करती हैं|
एक चुटकी नमक कढ़ाई में डालकर 5 मिनट के लिए ढककर छोड़ देती है और देखती है कि उसने छोले के विषय में सोचा था और छोले बनकर तैयार है वह बहुत खुश होती है और अपने पति से बोलती है की आपके पास कोई काम नहीं है क्यों ना हम लोग एक होटल खोले तो हमारी कमाई अच्छी होगी और हमारे अच्छे दिन आ जाएंगे उसका पति मान जाता है और वह लोग मिलकर एक होटल खोल लेते हैं और अच्छी कमाई होने लगती है
उसकी छोटी बहन को लगता है कि मेरी बहन रोज रोज इतना अच्छा खाना कैसे बनाती है और कहां से इतने पैसे लती है |
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वह एक दिन चुपके से उसकी बहन उसके घर में आती है और देखती है कि उसकी मां ने जो नमक का डब्बा दिया था उसकी बहन उसमे से वह एक चुटकी नमक कढ़ाई में डाल कर पांच मिनट के लिए ढककर छोड़ देती है और खाना बनकर तैयार हो जाता है अपनी बड़ी बहन से लड़ने लगती है कि तुमने बहुत सारी अच्छी-अच्छी चीजें बनाकर खाई अब मेरी बारी है मुझे यह नमक दे दो उसकी बड़ी बहन उस नमक के डब्बे को अपनी छोटी बहन को दे देती है|
लेकिन उसे बोलती है की इसमें से एक चुटकी नमक लेकर कढ़ाई में डालकर तुम्हें जो बनाना है उसके विषय में मन में सोचो और 5 मिनट के लिए छोड़ दो पांच मिनट से पहले कढ़ाई को मत खोलना उसकी बहन वहां से चली जाती है घर जाकर वह भी कढ़ाई में नमक डालकर ढक देती है लेकिन उसे 5 मिनट तक इंतजार नहीं हो पाता और वह कढ़ाई का ढक्कन हटा देती है कढ़ाई में से दो सांप निकलते हैं और उसे डस लेते हैं
उसका पति जल्दी से आता है और देखता है कि उसकी पत्नी को सांप ने डस लिया है और उसे जल्दी से अस्पताल में भर्ती करता है जहां उसका इलाज होता है और उसकी जान बच जाती है बड़ी बहन जब आती है उसे देखने तब वह छोटी बहन बोलती है दीदी मां ने सही किया था मुझ में न तो समझ है और न ही धैर्य इसलिए माँ ने तुम्हे यह कीमती नमक दी थी तुम ही इसे अपने पास रखो |
इस कहानी से हमे यह पता चलता है की हमे अपना धैर्य नहीं खोना
चाहिए बल्कि समझदारी से काम लेना चाहिए |
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बकरी की चालाकी
रामपुर नाम के गांव एक किसान रहता था जिसके पास एक बकरी थी उस बकरी के चार बच्चे थे वह बकरी अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखती थी उन्हें कभी भी अकेला नहीं छोड़ती थी क्योंकि वह जहां रहती थी उसी के बगल में एक बड़ा सा घना जंगल था जिस जंगल में बहुत सारे जंगली जानवर रहते थे|
उस बकरी को हमेशा डर लगा रहता था कहीं उनके बच्चे खेलते खेलते जंगल की ओर ना चल जाए इसी कारण से वह बकरी हमेशा अपने बच्चों के साथ रहती थी उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ दी थी एक दिन बकरी के एक बच्चे ने दो चरवाहे को आपस में बात करते सुना की जंगल में बहुत हरे हरे घास है और पेड़ पौधे हैं |
बकरी के बच्चे ने जब यह सुना तो उससे भी हरे हरे घास खाने की इच्छा हुई और वह मन ही मन सोचने लगा कि मैं बिना बताए चुपके से जंगल की ओर चले जाता हूं और वह जंगल की ओर चल पड़ा जब बकरी को इस बात का पता चला कि उसका बच्चा जंगल की ओर चला गया है तो वह घबरा गई और चिंतित हो गई और उसे खोजने के लिए वह भी जंगल की ओर चली गई इधर जब बच्चा चारे की खोज में जंगल के भीतर कुछ दूर तक जाता है तब उसे कुछ भेजिए घेर लेते हैं और उस बकरी के बच्चे को बोलते हैं आज तुम हम सब का भोजन बनोगे वह बच्चा घबरा जाता है और डरकर माँ -माँ चिल्लाने लगता है तभी उसकी मां वहां आ जाती हैं और भेड़ियों को बोलती है की तुम्हें क्या लगता है हम यहां पर घूमने आए हैं हमें तो जंगल के राजा शेर ने यहां पकड़ रखा है और बोला है तुम लोग यहां से कहीं नहीं जाओगे जब मैं आता हूं तब तुम दोनों को यहां से लेकर जाऊंगा|
तब भेड़िया बोलता है तुम हमें मूर्ख बना रही हो बकरी बोलती है अगर तुम्हें विश्वास नहीं होता तो देखो उस हाथी को शेर राजा ने हम पर नजर रखने के लिए कहां है भेड़िया देखता है कि सही में हाथी उस पेड़ के पास खड़ा है और भेड़िया डर जाता है और सारे भेड़िए भाग जाते हैं|
बकरी की चालाकी से इन दोनों की जान बच जाती है और वह घर की तरफ आने लगते हैं जैसे ही कुछ दूर आते हैं उसे जंगल का राजा सेर मिल जाता हैं बकरी और उसका बच्चा फिर से घबरा जाते हैं तभी शेर बोलता है वाह आज तो बकरी और बकरी का बच्चा हमारे खाने का आहार बनेंगे तभी बकरी के मन में कुछ विचार आता है और वह बोलती है|
क्या आप शेरनी के गुस्से का शिकार होना चाहते है आप हमें कैसे पकड़ सकते हैं हमें तो पहले से ही रानी ने पकड़ रखा है सेर बोलता है किस रानी ने तुम्हें पकड़ा है बकरी बोलती है आपकी पत्नी ने हमें पकड़ रखा है और बोला है कि तुम लोग यहीं पर रहो मैं थोड़ी देर में आती हूं तो तुम्हें यहां पर ले कर जाऊंगी और शेर राजा को आज तुम दोनों का पार्टी दूंगी सेर ही मन खुश होता है रानी मेरे लिए कितना अच्छा भोजन बनाने वाली है फिर बोलता है मैं कैसे मान लूं रानी ने तुम्हें यहां पकड़ रखा है बकरी बोलती है|
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आपको अगर विश्वास नहीं होता तो देखिए उस कौए को रानी ने हमारी निगरानी करने के लिए रखा है आप उसको कितना भी उड़ायेंगे वह नहीं उड़ेगा | सेर उस कौए को उड़ाने की कोशिश करने लगता है लेकिन कौवा नहीं जाता वह एक डाल से उड़कर दूसरी डाल पर बैठ जाता है|
शेर को विश्वास हो जाता है की सच में रानी ने इन दोनों तो पकड़ रखा है और वह वहां से चला जाता है बकरी अपने बच्चे को लेकर घर की तरफ आने लगती है जैसे ही कुछ देर आती है फिर उसको शेरनी मिल जाती है उन दोनों को रोक लेती है और बोलती तुम लोग कहां भागे जा रहे हो आज तो मैं तुम दोनों का भोजन बनाऊंगी और राजा को दावत दूंगी शेर राजा बहुत खुश होंगे तब बकरीद हंसने लगती है और बोलती है शेरनी रानी आप और शेर राजा एक जैसे ही सोचते हैं |
आप क्या जानते हैं हम लोग ऐसे ही खड़े हैं से राजा ने हमें यहां पकड़ रखा है और बोला है कि जब शेरनी आ जाएगी तब मैं तुम दोनों को ताजा ताजा मार कर यहां से शेरनी के लिए ले जाऊंगा आप जाइए शेर राजा आपका गुफा में इंतजार कर रहे हैं हम लोग यहां से कहीं नहीं जाएंगे शेरनी बोलती है मेरे जाते ही तुम दोनों यहां से भाग जाओ तभी बकरी बोलती है नहीं हम लोग नहीं जाएंगे क्योंकि शेर राजा ने हम पर नजर रखने के लिए उस खरगोश को कहा है अगर कहीं भी जाएंगे तो वह खरगोश राजा को खबर कर देगा शेरनी खरगोश की ओर देखती है खरगोश अपना कान हिलाने लगता है शेरनी को विश्वास हो जाता है|
सेर राजा ने इनको खरगोश को इन पर नजर रखने के लिए कहा है और वह गुफा में चली जाती है इधर बकरी अपने बच्चे को लेकर तेजी से अपने घर की तरफ भागती है और इतनी तेजी से भागती है कि वह सीधे अपने घर पर ही जाकर रुकती है और चैन की सांस लेती है उनके सारे बच्चे वहां आ जाते हैं और बोलते हैं माँ आप तो जंगल गई थी वहां तो बहुत सारे जंगली जानवर रहते हैं आपको डर नहीं लगा आपको जानवरों ने नहीं पकड़ा तभी वह बकरी का छोटा सा बच्चा बोलता है कि हमें बहुत सारे जानवरों ने घेर लिया था लेकिन मां की चालाकी और चतुराई से आज हम लोग बच कर वापस आ गए|
इस कहानी से हमे यह पता चलता है की हमे समस्या घेरे तो हमे घबराना नहीं
चाहिए बल्कि समझदारी से काम लेना चाहिए |
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